दर्शन दो घनश्याम नाथ मोरी अँखियाँ प्यासी रे भजन लिरिक्स (Darshan do ghanashyaam naath moree ankhiyaan pyaasee re Lyrics) - by Hemant Kumar - Bhaktilife24

Deepak Kumar Bind
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 (दर्शन दो घनश्याम नाथ मोरी अँखियाँ प्यासी रे भजन लिरिक्स )


दर्शन दो घनश्याम नाथ 

मोरी अँखियाँ प्यासी रे 

मन मंदिर की जोत 

जगा दो घाट घाट वासी रे 


मंदिर मंदिर मूरत तेरी 

फिर भी न दीखे सूरत तेरी 

युग बीते ना आई 

मिलन की पूरनमासी रे 


द्वार दया का जब तू खोले 

पंचम सुर में गूंगा बोले 

अंधा देखे लंगड़ा 

चल कर पँहुचे काशी रे 


पानी पी कर प्यास बुझाऊँ 

नैनन को कैसे समजाऊँ 

आँख मिचौली छोड़ो 

अब तो मन के वासी रे 


निबर्ल के बल धन निधर्न के 

तुम रखवाले भक्त जनों के 

तेरे भजन में सब सुख़

पाऊं मिटे उदासी रे 


नाम जपे पर तुझे ना जाने 

उनको भी तू अपना माने 

तेरी दया का अंत नहीं है

हे दुःख नाशी रे 


आज फैसला तेरे द्वार पर 

मेरी जीत है तेरी हार पर 

हर जीत है तेरी मैं तो 

चरण उपासी रे 


द्वार खडा कब से मतवाला 

मांगे तुम से हार तुम्हारी 

नरसी की ये बिनती सुनलो 

भक्त विलासी रे 


लाज ना लुट जाए प्रभु तेरी 

नाथ करो ना दया में देरी 

तिन लोक छोड़ कर 

|| आओ गंगा निवासी रे ||






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