सुखकर्ता दुखहर्ता वार्ता विघ्नाची नुरवी पुरवी प्रेम कृपा जयाची (Sukhkarta Dukhharta Varta Vighnachi Lyrics) - Shri Ganesh Aarti - Bhaktilife24

Deepak Kumar Bind
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{ सुखकर्ता दुखहर्ता वार्ता विघ्नाची लिरिक्स } 


सुखकर्ता दुखहर्ता वार्ता विघ्नाची।

नुरवी पुरवी प्रेम कृपा जयाची॥


सुखकर्ता दुखहर्ता वार्ता विघ्नाची।

नुरवी पुरवी प्रेम कृपा जयाची॥


सर्वांगी सुंदर उटी शेंदुराची।

कंठी झळके माळ मुक्ताफळांची॥

जय देव जय देव

सुखकर्ता दुखहर्ता वार्ता विघ्नाची

सर्वांगी सुंदर उटी शेंदुराची


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जय देव जय देव

जय मंगलमूर्ती हो श्री मंगलमूर्ती

दर्शनमात्रे मन कामनापु्र्ती

जय देव जय देव


रत्नखचित फरा तूज गौरीकुमरा।

चंदनाची उटी कुंकुम केशरा।


हिरेजड़ित मुकुट शोभतो बरा।

रुणझुणती नूपुरे चरणी घागरीया॥

जय देव जय देव

दर्शनमात्रे मन कामनापु्र्ती जय देव जय देव


जय देव जय देव

जय मंगलमूर्ती हो श्री मंगलमूर्ती

दर्शनमात्रे मन कामनापु्र्ती

जय देव जय देव

रत्नखचित फरा तूज गौरीकुमरा

हिरेजड़ित मुकुट शोभतो बरा


लंबोदर पीतांबर फणीवर बंधना।

सरळ सोंड वक्रतुण्ड त्रिनयना।


दास रामाचा वाट पाहे सदना।

संकटी पावावें निर्वाणी रक्षावे सुरवरवंदना॥

जय देव जय देव


जय देव जय देव

जय मंगलमूर्ती हो श्री मंगलमूर्ती

दर्शनमात्रे मन कामनापु्र्ती

जय देव जय देव


घालीन लोटांगण वंदिन चरण।

डोळ्यांनी पाहिन रूप तुझे।

प्रेमे आलिंगीन आनंदे पुजिन।

भावें ओवाळिन म्हणे नामा॥

घालीन लोटांगण वंदिन चरण

डोळ्यांनी पाहिन रूप तुझे


त्वमेव माता च पिता त्वमेव

त्वमेव बंधुश्च सखा त्वमेव॥

त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव

त्वमेव सर्व मम देवदेव॥


कायेन वाचा मनसेंद्रियैर्वा

बुध्दात्मना वा प्रकृतिस्वभावात्।

करोमि यद्यत् सकलं परस्मै

नारायणायेति समर्पयामि॥

त्वमेव माता च पिता त्वमेव

त्वमेव बंधुश्च सखा त्वमेव


अच्युतं केशवं रामनारायणं

कृष्णदामोदरं वासुदेवं हरि।

श्रीधरं माधवं गोपिकावल्लभं

जानकीनायकं रामचंद्रं भजे॥


हरे राम हरे राम

राम राम हरे हरे।

हरे कृष्ण हरे कृष्ण

कृष्ण कृष्ण हरे हरे॥


हरे राम हरे राम

राम राम हरे हरे।

हरे कृष्ण हरे कृष्ण

कृष्ण कृष्ण हरे हरे॥


सुखकर्ता दुखहर्ता वार्ता विघ्नाची।

नुरवी पुरवी प्रेम कृपा जयाची॥

जय देव जय देव

जय मंगलमूर्ती हो श्री मंगलमूर्ती

दर्शनमात्रे मन कामनापु्र्ती

जय देव जय देव 



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